बेखबर
बेखबर
बेखबर बनते हो
छिपती ये आंखें तुम्हारी बताती है
देखकर मुझे नजरें जब चुराती हो
टूटती खुमारी उजास सा छाया है
बेखबर बन विस्मृत सपना दिखाया है
क्या राज छुपा है इसमें तुम्हारा
बेखबर बन दिल चुराया है
भावपूर्ण शब्दों से
आज रच दिया तुमने जैसे कोई गीत
तुम ही हो मेरा स्वर और संगीत
क्या खुशी और क्या गम
सब तुमने बांटे हमारे संग
देकर हसीन ख्वाबों की चाह
आज क्यों जी चुराते हो
बेखबर बनकर हमें क्यों सताते हो
बयां करने को बहुत सी बातें हैं
आज सब जता दे तुमसे हम सोचते हैं
हर लम्हे तुम्हारे प्यार का एहसास है
बेखबर तुम पर हमें तुमसे ही प्यार है
आईने की आंखों में तुमको ही देखा है
बस अब इस दर्पण को जहन में उतारना है
तुमसे मिलकर हमें बहुत कुछ कहना है! !