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अमित प्रेमशंकर

Fantasy

4  

अमित प्रेमशंकर

Fantasy

जनाजे की तारीख

जनाजे की तारीख

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मेरे ज़नाजे की तारीख तय थी

और कफ़न भी खरीदे जा रहे थे !


शामिल मैं भी था इस तैयारी में

और दिन करीब आते जा रहे थे!!

बेबश मैं करता भी क्या अपनो में

बरखीसाज खुद सजाते जा रहे थे !


तुझसे कुछ शिकवा नहीं ये खुदा

सब मेरे ही हाथों होते जा रहे थे !


शिकवा तो है अपने ही उसुलों से

और उसुलों पर छुप छुप रोते जा रहे थेे !


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