जख्म
जख्म
जख्म अभी भरने लगे हैं,
उन जख्मों को छोड़ दिया था,
सूखने के लिए।
अब उनको कुरेदा नहीं जाता,
घाव बनने के लिए।
जख्म भी धीरे-धीरे ठीक होने लगे।
कुछ समय तक पीड़ा भी पहुंचाते रहे,
मेरे घाव मुझे दुख दर्द देते रहे।
मैं उन्हें संभालती रही,
मरहम लगाती रही।
ज्यादा मरहम लगाने से ,
वह ठीक न हुए और हरे ही हुए।
मैंने छोड़ दिया वक्त के साथ,
उन पर मरहम लगाना।
वह धीरे-धीरे सूखते गए,
और ठीक होते रहे।
पूर्णतः ठीक होकर ,
फिर नई परत बनाते गए।
अब घाव के निशान मिटने लगे,
हम भी उन घावों को भुलाने लगे।
वक्त के साथ हम भी गुनगुनाने लगे,
धीरे धीरे खुशी के नगमें हम गाने लगे।