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LOKESH PAL

Tragedy

2  

LOKESH PAL

Tragedy

जज़्बात

जज़्बात

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30

यूं मुझे नज़रों से छूकर

यूं बातो से मुझे लूटकर

करता रहा वो बातो के वादे

मै होती रही जज़्बाती

अनजान थे उसके इरादे

बातो ही बातो में वो मेरे जिस्म से खेल गया

क्या इतनी धोखे बाज है ये दुनियां

बेखबर यूं हंसती ज़िन्दगी 

बस जिस्मो का मेल रहा।



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