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LOKESH PAL

Tragedy

4.0  

LOKESH PAL

Tragedy

अफवाहों की आग

अफवाहों की आग

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मर रहे लोग,लोग इन अफवाहों की आग में

धधकती आग में जल गए मेहनत के आशियाने

जलते क्यू नही इन नेताओं के घर।

सेंककर अपनी रोटियां हमदर्दी जताते है बाद में।

कत्लेआम करके खुलेआम घूमते हैं

बुझ गये चिराग कुछ घरो के।

मतलब के लिए बस पैर चूमते हैं

कैसे नींद आती होगी ऐसे काफिरो को रात में।

जो जनता को जला देते है जज्बातो की आग में।



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