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LOKESH PAL

Romance

5.0  

LOKESH PAL

Romance

उन दिनों

उन दिनों

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उन दिनों में समझता नहीं था

दिल की बातों को।

शायद ना समझ सा था मैं।


समझ ना सका तेरे अंदर के जज़्बातों को

यूँ जो बाते हुई रातों को वो मुझे याद है

वो तेरी प्यारी सी हंसी, दिलकश अंदाज़।


पर कई बार अनदेखा किया मैंने तेरी इज़्ज़तों को

एक तड़पन सी थी।और एक डर सा था।

वैसे भुला नहीं तेरा देर तक जागना रातों को

समय निकलता रहा तेरा वो प्यार,

तेरी वो जवानी का मर्म निकलता रहा।


कैसा बुद्धू सा था सुनकर भी

अनसुना करता रहा मैं।

तेरी आह भरी आदतों को

उन दिनों मै समझता नहीं था

दिल की बातों को।


शायद ना समझ सा था मैं

समझ ना सका तेरे अंदर के जज़्बातों को ।

काफी वक़्त गुज़र गया पर तू कहां में कहां

में तन्हाइयो में तंन्हा,तू जवानी में जैसे बेजां।


मैं सोचता हूं एक बार फिर से सोचना

जीले फिर से वो लम्हे जो वक़्त दिया गवां।

छोड़ ना यार क्या लिखूं अब,

मैं समझा तू समझे न जब।


पर शायद वक़्त भी पर कर गया हैं इबादतों को

उन दिनों में समझता नही था दिल की बातों को।

शायद ना समझथा मैं

समझ ना सका तेरे अंदर के जज़्बातों को।


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