कैसे बीत गया ये समां
कैसे बीत गया ये समां
ना जाने कैसे बीत गया ये समां ।
ना जाने कब वक़्त बीत गया ।
ज़िन्दगी ना जाने भटकती कहाँ कहाँ ।
कुछ होश ,कुछ मदहोश सा।
कही मुरझा सा ,
कहीं खिल खिलाता सा जहाँ ।
शायद हुई कोई गलती भूल हमसे।
मत लेना इम्तहां ।
ना जाने कैसे बीत गया ये समां ।
ना जाने कब वक़्त बीत गया ।
ज़िन्दगी ना जाने भटकती कहाँ कहाँ।
यूँ गुज़र गये वो दिन ,
यूँ गुज़री वो मुलाकातें ।
बस बन कर रह जाएँगी यादें ।
याद करना कुछ भूली बाते ।
शायद पुरे करने हो कुछ वादे।
कुछ वक़्त देना अपनों को भी ।
वार्ना रम जाना दुनियां की बातो मे।
खो जाना दुनियाँ की भीड़ मे ।
फिर मिलता वक़्त कहां ।
ना जाने कैसे बीत गया ये समां ।
ना जाने कब वक़्त बीत गया ।
ज़िन्दगी ना जाने भटकती कहाँ कहाँ।
ना जाने कैसे बीत गया ये समां।
