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LOKESH PAL

Others

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कैसे बीत गया ये समां

कैसे बीत गया ये समां

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ना जाने कैसे बीत गया ये समां ।

ना जाने कब वक़्त बीत गया ।

ज़िन्दगी ना जाने भटकती कहाँ कहाँ ।

कुछ होश ,कुछ मदहोश सा।

कही मुरझा सा ,

कहीं खिल खिलाता सा जहाँ ।

शायद हुई कोई गलती भूल हमसे।

मत लेना इम्तहां ।

ना जाने कैसे बीत गया ये समां ।

ना जाने कब वक़्त बीत गया ।

ज़िन्दगी ना जाने भटकती कहाँ कहाँ।

यूँ गुज़र गये वो दिन ,

यूँ गुज़री वो मुलाकातें ।

बस बन कर रह जाएँगी यादें ।

याद करना कुछ भूली बाते ।

शायद पुरे करने हो कुछ वादे।

कुछ वक़्त देना अपनों को भी ।

वार्ना रम जाना दुनियां की बातो मे।

खो जाना दुनियाँ की भीड़ मे ।

फिर मिलता वक़्त कहां ।

ना जाने कैसे बीत गया ये समां ।

ना जाने कब वक़्त बीत गया ।

ज़िन्दगी ना जाने भटकती कहाँ कहाँ।

ना जाने कैसे बीत गया ये समां।



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