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LOKESH PAL

Tragedy Others

5.0  

LOKESH PAL

Tragedy Others

तन्हा अकेला

तन्हा अकेला

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यूँ मैं तन्हा अकेला,

बेचैन आधी रातों को।

तेरे बिना बिख़रा सा हर पहर।

समझे क्यूं ना तू मेरी बातों को।


शायद अकेला जगा हूँ मैं।

जब सोया है सारा शहर।

जब तू दूर होती है।

अकेला सा मैं होता हूं।

तन्हाई में यूँ यादें तेरी ढाती कहर।

तू ही एक सहारा है।

तेरे बिना तो इस दुनियां में घुटन का है ज़हर।


पर तेरे सिवा कौन समझेगा मेरे जज़्बातों को।

मैं यूँ तन्हा अकेला,

बेचैन आधी रातों को।


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