अधकही सी कहानियां
अधकही सी कहानियां
उन अधकही सी कहानियों को छोड़कर,
नए सिरे से नयी कहानियों को बुनकर रचना है।
उन नयी कहानियों की रचना इस कदर हो,
की महरूमी सा हो मौसम,
हँसते हँसते गुज़रे ज़िन्दगी का सफर।
और वो हर ख़ुशी तुम्हें मिल जाये।
जिसे देखने को तुम तरसे पर देख ना पाये।
वो होली तुम्हारी मने, वो दीवाली तुम्हारी मने।
इस कदर की वो बुझे दिए भी जगमगा जाएँ।
तरक्की तुम्हारी देखकर।
कुछ बुराइयों के साथ तुम्हारे दुश्मन भी जल जाएँ।
दुआ है उस रब से।
वो माँ-बाप हमेशा मुस्कुराएं।
वो यार कभी तुमसे दूर ना जाएँ।
बस उन बुराइयों से बचना है।
चलना बस चलना मंज़िलो की राहों पर।
उन अधकही सी कहानियों को छोड़कर,
नए सिरे से नयी कहानियों को बुनकर रचना है।
नए सिरे से नयी कहानियों को बुनकर रचना है।
