STORYMIRROR

Sarita Kumar

Romance

4  

Sarita Kumar

Romance

जज़्बात एक्सप्रेस

जज़्बात एक्सप्रेस

1 min
295

कभी हम भी दीवाने थे


ये फरवरी का महीना 

बंसती ब्यार 

फूलों का बेशुमार लदना 

पेड़ पौधों का 

हया से शरमा कर झुकना ...

निगाहें टकराना 

आंखें चार होना 

और 

जबरन 

बे जरूरत 

दिल में उतरकर 

कब्ज़ा कर लेना ....

यह सब 

हमारे समय से ही 

चलता आ रहा है 

मगर 

हम 

संस्कारों और सामाजिक मर्यादाओं में बंधे 

इज़हार नहीं कर पाते थे 

और 

अपनी 

खामोश मोहब्बत को 

कभी कोई नाम 

नहीं दे पाते थे

ऐसा नहीं कि 

हमारी मोहब्बतें 

सच्ची नहीं होती थी 

वो मोहब्बतें तो 

सबसे अच्छी होती थी 

जो कभी 

जाहिर ही न हुआ हो .... 

दोबारा कभी 

मिलना हुआ तो 

हम .....

अपनी-अपनी 

दास्तां सुनाएंगे 

"कभी हम भी दीवाने थे आपके"


 


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Romance