Dobhal Girish
Tragedy
कौन है जो रुह से प्यार करता है
ये जमाना बस जिस्मों का व्यापार करता है
बदनाम हुस्न -...
सरकारों से क्...
मुद्दे कौन उठ...
निगाहों से गु...
थोडा ठहर जाओ
अंबर की लालिम...
फूलों का जलना
शायरी सा दिल
जिस्म का व्या...
खुबसुरत काया
अदावतों के ज़हर ने, ज़मीनों को कर दिया बंजर अदावतों के ज़हर ने, ज़मीनों को कर दिया बंजर
शासन करने की अफवाह आपने आदमी को छोड़ दिया है ! शासन करने की अफवाह आपने आदमी को छोड़ दिया है !
हम ही कसूरवार हैं हम ही कसूरवार हैं
अपने बच्चों को कभी नहीं सिखाओगे संस्कार घर पर। अपने बच्चों को कभी नहीं सिखाओगे संस्कार घर पर।
शहादत व्यर्थ न जाने देंगे ये दुुश्मन को दिखलाना है। शहादत व्यर्थ न जाने देंगे ये दुुश्मन को दिखलाना है।
दम घुटता है इन दीवारों,रिश्तों, भावनाओं और उन सब वादों-यादों के बीच! दम घुटता है इन दीवारों,रिश्तों, भावनाओं और उन सब वादों-यादों के बीच!
एक माँ की पुकार में बेबसी बंदी पड़ी रहती है एक माँ की पुकार में बेबसी बंदी पड़ी रहती है
सात फेरों की रस्मों से बंधी डोर थी एक, वो खिंचे जा रहे थे, हम खिंचे जा रहे थे। सात फेरों की रस्मों से बंधी डोर थी एक, वो खिंचे जा रहे थे, हम खिंचे जा रहे थ...
लफ्ज़ फीके थे मगर जायका शायद तेरे लबो का था! लफ्ज़ फीके थे मगर जायका शायद तेरे लबो का था!
किसी की यहां पर जैसे ही उम्मीद टूटी, उसकी तो वहीं पर देख लो कश्ती डूबी किसी की यहां पर जैसे ही उम्मीद टूटी, उसकी तो वहीं पर देख लो कश्ती डूबी
तारीख़े भी कभी इनाम की हक़दार होती है क्योंकि वे कुछ राज़ पोशीदा रखती है तारीख़े भी कभी इनाम की हक़दार होती है क्योंकि वे कुछ राज़ पोशीदा रखती है
रंगों से बनती बिगड़ती दुनिया देखी, और रंगों से सँवरती हुई दुनिया भी देखी। रंगों से बनती बिगड़ती दुनिया देखी, और रंगों से सँवरती हुई दुनिया भी देखी।
तुम्हारे पास तो पारदर्शी मोम का भंडार है काफी है तुम्हारे पास तो पारदर्शी मोम का भंडार है काफी है
वो चमक मेरे दीदार से क्यों नहीं समझ नहीं आता। वो चमक मेरे दीदार से क्यों नहीं समझ नहीं आता।
कभी नाम मेरा भी लिया करो कभी ऐसा भी तो हो। कभी नाम मेरा भी लिया करो कभी ऐसा भी तो हो।
चलो मैंने आज आज़ाद किया इश्क का परिन्दा । चलो मैंने आज आज़ाद किया इश्क का परिन्दा ।
जो कभी दूसरों की भलाई के लिए दुआ मांगते थे, आज खुद के जीवन में स्वार्थपरता ढूँढते है। जो कभी दूसरों की भलाई के लिए दुआ मांगते थे, आज खुद के जीवन में स्वार्थपरता ढ...
मेहमान से तुम्हें मिलवाना बाकी है.... कुछ बातें अब भी कहनी बाकी है मेहमान से तुम्हें मिलवाना बाकी है.... कुछ बातें अब भी कहनी बाकी है
अपितु कृष्णा है ! वचन कर्म विहीन हो तोये मिथ्या है मृगतृष्णा है ! अपितु कृष्णा है ! वचन कर्म विहीन हो तोये मिथ्या है मृगतृष्णा है !
भूल गए जनसेवक जनता को, और जनता कंगाल हो गयी। भूल गए जनसेवक जनता को, और जनता कंगाल हो गयी।