Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ramashankar Roy

Fantasy

4  

Ramashankar Roy

Fantasy

जिंदगी ठहर जरा !

जिंदगी ठहर जरा !

1 min
275



ए जिंदगी ठहर जरा

पल दो पल

यादों के दहलीज पर

चलो चहलकदमी करके आते हैं


बेफिक्र बचपन के गाँव मे

तितली के पीछे लंबी दौड़ लगाते हैं  

थोड़ी सी बचपना ,थोड़ी सी नादानियाँ

बचाकर रखना जरूरी है


रिश्ते संभालने के लिए

समझदारी हिसाब लगाने लगती है

लाभ और हानी का, 

मुस्कान और आँसू का


भीड मे हाथ भले ही छूट जाए

दिल का विश्वास नही छूट पाए

जिंदगी आज तुम भले हसीन हो

दोस्तों के बिना बेरौनक लगती हो


परेशानियाँ भी प्यारी लगती है

जब गैरों कोअपनो सा जोड़ती हैं

बचपन से अबतलक कुछ खास नही बदला है

बचपन की जिद्द सिर्फ समझौता मे बदला है


जीवन यात्रा बहते नदी की प्यास सी है

रास्तों की उलझन समंदर की तलाश सी है

थम जरा भींग लेने दे मुश्किलों के चौराहे पर

झमा झम बरसती यादों की बूंदे रोम रोम पर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy