जिंदगी के सफर में काले बादल
जिंदगी के सफर में काले बादल
जीवन के सफर में गम के काले बादलों का सिलसिला हो गया,
जिस किसी को चाहा शिद्दत से उसी से फासला हो गया,
हर चाहत हर इबादत धुंधली पड़ी है कौन जाने क्या मामला हो गया,
एक अजीब कशमकश से बंधा पड़ा है हसरतों का दामन
हर तरफ डूबने का जलजला हो गया,
गुजर जाती है एक थकान के साथ दिन दोपहर शाम और रात मेरी,
जिंदगी जीने का एक ये भी खूबसूरत तरीका हो गया,
काले बादल फटने को तैयार है कहर बन कर मुझपर,
मनुष्य क्या अब मौसम को भी हमसे गिला हो गया,
दूर आसमान से एक परिंदा होकर हैरान देखता रहा मुझे,
कैसे कोई अपनी जज्बातों में कैद जिंदा आदमी हो गया,
अपनी अहम भूमिका निभाई थी हर रिश्ते के सजदे में,
सोचता हूँ पल भर में हर रिश्ता कुछ अच्छा कुछ बुरा हो गया,
एक अरसे तक संजोये रखा था जिस खुदा को अपने जहन में,
लोगों के मुकरने बिगड़ने और बिछड़ने से वो खुदा भी जुदा हो गया ।