जिंदगी के मायने
जिंदगी के मायने
जिंदगी जितनी सरल दिखती है,
क्या वाकई में ऐसी है ?
जन्म –मरण, रिश्तों का ताना–बाना ,
क्या सच है यही या
किसी और सच का ये हिस्सा है ?
मुझे तो तनी रस्सी सी लगती है,
अनगिन पेंचो से गुंथी हुई,
छोर किसी अनजाने भरोसे है,
ना जाने कब ढील मिल जाए।
इसमें रंग है,
इसमें उमंग है,
इसमें है जीवन्तता,
अचरज से भरी अद्भुत निरंतरता।
ये बंधी है,
इसे सींचा गया है,
इसे थामा हुआ है,
इसे गढ़ा गया है।
प्यार ने रचा है इसे,
प्यार है तो जिंदगी,
प्यार है तो इसके मायने,
नहीं तो, तनी रस्सी के वजूद सी है।
