जिंदगी और मौत
जिंदगी और मौत
देती जिंदगी सदा ही धोखा,
मौत न चूके कभी निज मौका।
एक-एक रन जीवन में जुटाते,
मौत मारती है सीधा ही चौका।
जीवन भर भेदभाव करता है पीछा,
पर मौत कभी नहीं करती कुछ भेद।
ऐशो आराम का जिएं जो जीवन,
या ताउम्र बहाते रहते हैं जो स्वेद।
होती है ये जिंदगी सदा बेवफा,
हर हाल देती हमें छोड़ दिन एक।
बड़े उतार-चढ़ाव आते हैं जीवन में,
समभाव मौत के आगे देता घुटने टेक।
उदय अस्त रवि का सम ही होता है,
पूरे दिन सबके संग व्यवहार समान।
भेद रहित जीवन हम क्यों न बिताएं ?
जब सबका अंतिम सत्य है एक समान।