जीवन स्थिति
जीवन स्थिति
हर तरफ खाई है
ऊँच नीच बन पर आयी है
कैसे हो जाए हम उबर
जख्मों में उलझे हर साए हैं।
दर दर भटकते हुए
हर दर्द सहते हुए
अपने किरदार निभाए हैं।
सीखते हैं सिखाते हैं
हर मोड़ से गुजर के जाते हैं
हर तबाही भी शोर मचाई है
हर तरफ खाई है
ऊँच नीच बन कर आई है।
कलम चलती है
हर पन्ने पर छपती है
ये जिंदगी कुछ ऐसे ही
अनेक पहेलियों में समाई हैं।
कैसे कर ले तसल्ली
अभी तो जगहँसाई है
चलना है और चलते रहना है
इस जहां में नाम की कमाई है।
क्षणिक सुख की प्राप्ति को
जन जन की लड़ाई है
आपबीती बहुत सुनी सुनाई है
हालात अपने आप कोसते हैं।
सच्चाई तो अभी धुंधली नज़र आई है
हर तरफ खाई है
ऊँच नीच बन कर आई है।
पत्थर की तरह इंसानों के दिल है
टुकड़े दिल करके कहते हैं
अब हमारी बारी आई है
रंग से रूप से लोगों बीच
आज हर घर घेरे में आई है।
कैसी आपदा आई है
अपने भाई से खून की सिंचाई है
बिखर कर लिपटे अंगारों में
सिसक कर दिल देता ये गवाही है।
बस बहुत हुआ अब तक
अब आगे हमारी बारी आई है
हर तरफ खाई है
ऊँच नीच बन पर आई है।।