राहुल अलीगढ़ी

Romance Others

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राहुल अलीगढ़ी

Romance Others

जीवन साथी

जीवन साथी

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तुम अपना फर्ज़ बख़ूबी निभाती हो,

हाँ, तुम मेरी जीवन साथी हो।।


अनजानी सी बनकर तुम, जब मेरे घर पर आती हो,

अपना प्यार लूटा कर सारा, तुम सबको अपना बनाती हो।

देखभाल करके अपनों की, तुम अपना फर्ज़ बखूबी निभाती हो,

हाँ, तुम मेरी जीवन साथी हो।।


भूल कर अपने सारे रिश्ते, तुम नये रिश्ते बनाती हो,

भाई-बहन, मॉं-बाप सभी को, पीछे छोड़ तुम आती हो,

मेरे घर को, घर बनाकर, तुम अपना फर्ज़ बखूबी निभाती हो,

हाँ, तुम मेरी जीवन साथी हो।।


तुम पति प्रेम से बढ़कर अब, किसी और की ना अभिलाषी हो,

पति के प्राण बचाने को तुम, यम से भी लड़ जाती हो,

पति-पत्नी के रिश्ते में तुम अपना फर्ज़ बखूबी निभाती हो,

हाँ, तुम मेरी जीवन साथी हो।।


अथाह कष्ट सह कर भी तुम, मेरा वंश बढ़ाती हो,

नो महीने जिसे गर्भ में रखा, उसको भी नाम मेरा दे जाती हो,

ये बलिदान भी देकर तुम, अपना फर्ज़ बखूबी निभाती हो,

दुआ करूँगा जन्मों तक, तुम्ही मेरी जीवन साथी हो।।


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