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Arti jha

Romance Tragedy

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Arti jha

Romance Tragedy

जीवन के हर एक पृष्ठ को....

जीवन के हर एक पृष्ठ को....

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जीवन के हर एक पृष्ठ को धीरे से सरकाना तुम।

पीछे जो भी छूट रहा है मत आँसू बरसाना तुम।


कल ही सपना एक बुना था, आज हुआ वह चकनाचूर।

मन से मन की गिरह बांधकर चला कोई जीवन से दूर।

छीन गया जो स्वप्न नयन से, मत उनपर झुंझलाना तुम।

पीछे जो भी छूट रहा है.......


शुष्क धरा पर जैसे बादल, जल की बूँदें लाता है।

प्रेम अगर पावन हो मन में शीतलता बरसाता है।

चंचल मन की व्याकुलता अब, मन में ही दफ़नाना तुम।

पीछे जो भी छूट रहा है...


पीठ दिखाकर गर जाना है, क्यों फिर नेह लगाते हैं।

पुरुष जगत ये, नारी मन से खेल उसे ठुकराते हैं।

तिरस्कार यह भी सह जाना, मत संदेह दिखाना तुम।

पीछे जो भी छूट रहा है.....


लिए वेदना की सौगातें, हम कुछ अर्पण करते है।

प्रिये! तुम्हारे लिए आज हम पूर्ण समर्पण करते हैं।

याद रहे पर इस तन-मन पर, मत आक्षेप लगाना तुम।

पीछे जो भी छूट रहा है....


जीवन में यदि ख़ुश रहना है, सबके संग चला करिए।

जैसे मंद हवा बहती है, सबके संग बहा करिए।

सीख यही मैंने पाई है, इसे भूल मत जाना तुम।

पीछे जो भी छूट रहा है मत आँसू बरसाना तुम।


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