STORYMIRROR

Arti jha

Romance

4  

Arti jha

Romance

उसे फिर क्या कहा जाए...

उसे फिर क्या कहा जाए...

1 min
541

कोई दिल मे उतर जाए, उसे फिर क्या कहा जाए।

न पढ़ जज़्बात वो पाए, उसे फिर क्या कहा जाए।।


छुपा के अपनी नज़रों में, उसे मैं क़ैद भी कर लूँ।

वो बन आँसू निकल जाए,उसे फिर क्या कहा जाए।।


समेटूँ मैं उसे मन मे, या चाहत के समंदर में

वो बन ख़ुशबू बिखर जाए,उसे फिर क्या कहा जाए।।


समंदर के भँवर से तो, उलझते है सभी लेकिन

जिसे साहिल डुबो जाए, उसे फिर क्या कहा जाए।।


गिरे को थाम लेना भी, ख़ुदा की ही इबादत है।

जो संभले को गिरा जाए, उसे फिर क्या कहा जाए।।


जो कल तक मेरे ज़ख़्मों पर, बना मरहम थिरकता था।

वही नासूर बन जाए, उसे फिर क्या कहा जाए।।


                         


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance