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Arti jha

Others

4.6  

Arti jha

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सुना है आज इक सौदा हुआ है...

सुना है आज इक सौदा हुआ है...

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सुना है आज इक सौदा हुआ है,

समंदर आ के नदियों से मिला है।


हवाएँ गुफ़्तगू करने लगी हैं ,

हक़ीक़त पर कोई पर्दा गिरा है।


भला क्या शान झूठी मिल्कियत का,

खुदा बैठा हुआ सब देखता है।


बड़ी शिद्दत से उसकी याद आई,

मेरी इस रूह को किसने छुआ है।


मेरी भी आरज़ू पूरी हो शायद,

फलक से टूटता तारा दिखा है।


मेरे अरमान अब दम तोड़ते हैं,

वो बनकर अजनबी जब से मिला है।


भला था गाँव ही अपना,शहर से

यहाँ तो हर बशर तन्हा मिला है।


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