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Arti jha

Others

4.3  

Arti jha

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कोई क़िस्सा बनाया जा रहा है....

कोई क़िस्सा बनाया जा रहा है....

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कोई क़िस्सा बनाया जा रहा है,

लबों पर झूठ लाया जा रहा है।।


सभी की चुप्पियों से तय यही है,

यक़ीनन कुछ छुपाया जा रहा है।।


सियासत के अनूठे रंग देखे,

यहाँ हर सच दबाया जा रहा है।।


किसी का दस्तख़त है कागजों पर

किसी का नाम पाया जा रहा है।।


हवाओं की हुई पुरज़ोर कोशिश,

चरागों को बुझाया जा रहा है।।


सिसक कर कौन रोया आज फिर,

किसे फिर से रुलाया जा रहा है।।


मैं हर चेहरे में उसको ढूँढती हूँ,

मुझे पागल बताया जा रहा है।।


ये कैसा ज़िन्दगी से वास्ता है,

जो रोकर भी निभाया जा रहा है।।


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