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Monika Garg

Drama

5.0  

Monika Garg

Drama

जीना मुझको आ गया

जीना मुझको आ गया

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रंग जीवन में भरना 

मुझे आ गया,

छुपा के गमों को सीने में 

मुस्कुराना मुझे आ गया।


जख्म जो इस दिल में 

वह तो कभी भरा नहीं,

पर जख्मों पर मरहम 

लगाना मुझे आ गया।


उनको भ्रम था मर जाऊंगी

मैं बिन उनके,

लो अब उनके बिना भी 

जीना मुझको आ गया।


भरी महफिल में यूं ही 

खोई खोई रहती थीं मैं,

अब खुद को छुपा के खुद में 

मुझे रूबरू होना आ गया।


अब फुर्सत नहीं मुझको 

तुझको याद करने की,

तेरी दी हुई यादों पर 

अब बांध लगाना आ गया।


मत पूछ ए सखी कौन हूं मैं,

अब चेहरे पर चेहरा 

लगाना मुझे भी आ गया।


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