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Dr Baman Chandra Dixit

Tragedy Inspirational

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Dr Baman Chandra Dixit

Tragedy Inspirational

झुर्रियों के पीछे

झुर्रियों के पीछे

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तेरे चेहरे की जो झुर्रियां

कहते कई मजबूरियां।

हरे ज़ख्म भर चले मगर

बाकी रह गये निशानियां।।


कुछ अक्षर उम्र का धुंधले से

ना मिटने का जिद्द मगर।

झुलसे हुए इन पन्नों से

बेआवाज़ सी सिसकियां।।


सुबह का वो मासूम फ़लक 

बुजुर्ग हो ना जाता यूँ ही,

दबोच कर रखाता ज़िगर में

कई रिश्तों की चिंगारियां।।


उन्हें मालूम तो होगा जरूर

कितनी बेरहम हैं वो,

मगर मुस्कुराते वो हर वक्त

छिपाकर बेरुखियाँ।।


कुरेद कुरेद कर जख्मों को

लहू लुहान मत कर,

अभी अभी तो भरे थे वो

इन पे क्यों ये बेरुखियाँ ।।


रोने की कोशिश मत करो

आँसू नहीं है तेरे पास,

अदा मुद्राओं की विलाप को

छिपा लेंगे तेरे ये झुर्रियां।।


मौत की इंतज़ार करता क्यों

अंतिम पड़ाव वो है तेरा,

बढ़ता चल आगे उससे भी

बाकी बहुत उपलब्धियां।।

लिखता चल अक्षर अनमिट 

जीता चल सौ ज़िन्दगानियाँ।।



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