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Sachin Kapoor

Tragedy

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Sachin Kapoor

Tragedy

जब-तब

जब-तब

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राजनैतिक रंगों की फाग खेली जब तब,

उन्होने खूब बहलाया, आवाम बहली जब तब.

आरोपों प्रत्यारोपों की खूब हुई छींटाकशी,

उन्होने नहली फेंकी जब जब, भईया जी ने दहली दी तब तब.

घोटालों और कांडों की सेंचुरियाँ लगाकर,

मास्टर ब्लास्टर बन गये सब जब तब.

दंगे भड़काए, ट्रेन जलाई, हड़तालें की, किया चक्काजाम,

जनता की भावना को कैश कर,

नोट वोट बटोरे जब तब.

फिर बड़े शौक से गठबंधन की खिचड़ी पकाई,

स्वारथ के रथियों ने सरकार बनाई गिराई जब तब.

गिरगिटों के ये रंग अच्छी तरह पहचान लो 'सचिन'

मिल जायेंगे हर नुक्कड़ पर जब तब, जब तब.


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