जब कोई अपना रूठ जाए
जब कोई अपना रूठ जाए
जब अपना कोई रूठ जाए,
नन्हा सा दिल टूट जाए,
हृदय ये आघात सह न पाए
नैनों से फिर गंगा जमुना कल कल बह जाए।
खामोशियां खामोशी से सारा वृतांत सुना जाए।
पहले कौन कदम आगे बढ़ाए,
इस जिद्दी सोच में जब सब अड़ जाए,
अपना है कौन यहां? यह सोच ...
मजबूत विश्वास की जड़े भी तब हिल जाए।
फिर घुट घुट के आंसुओं के पैमाने
आंखों से छलक जाए...
और इसी बहाने से ही सही...
अश्रु गालों की गलियों से फिसल ,
खामोशी से लबों को तेरे ही नाम से छू जाए।
फिर से अपनेपन के यादों की चाशनी में
ये टूटा दिल रह रह कर डूबा जाए,
घायल अंतर मन के आंसुओं को
रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी हो जाए।