जब हमने प्यार को छुआ
जब हमने प्यार को छुआ
जब हमने प्यार को छुआ
हर सीमा को पार करते
प्रतीत हुए प्यार के स्पंदन
जाना प्यार शब्द के मूर्त रुप को
जब स्याही ने मेरी उंगलियों की
रेखा को चूमकर लिखा
तुम्हारे दिल के पन्नों पर प्यार
और
हर कविताओं को चखकर परोसा
मैंने अपनी चाहत को
तुम्हारे होठों की हंसी के आगे
प्रेम ने रचा तब एक कलात्मक कोण
जिसे देखकर ठहर गई हर रचनाएँ
मेरे दिल के भीतर
तुम्हारी अदाओं की दीवानी
मेरी आत्मा की आवाज़ बन
अब गूँजती है कायनात के हर ज़र्रे में
जहाँ प्यार की बौछार होती है
मेरे रोम रोम में लालित्य भरते
तुम्हारी साँसें मुझे थाम लेती है
तब मेरी आँखों का बादामी रंग
कविताओं की परछाई में ढल जाता है