जानेमन
जानेमन
बदलते इस मौसम में तू ,
मिजाज़ भी बदलती जाती है,
कभी तो नजर मिलाया करो जानेमन,
हम भी तेरे इश्क के प्यासे है।
ख्वाबों में मुझे सताती है तू,
नखरे करके मुझे तड़पाती है,
कभी तो मुझे रुबरु मिला करो जानेमन,
हम भी तेरे इश्क के प्यासे है।
वादें मिलने के तोड़ती है तू,
इंतजार मुझे बहुत कराती है,
कभी तो मेरी खैरियत पूछो जानेमन,
हम भी तेरे इश्क के प्यासे है।
तिरछे नैनों से देखती है तू,
घायल मुझ को तू बनाती है,
कभी तो बांहों में समाया करो "मुरली",
हम भी तेरे इश्क के प्यासे है।
