माँ के पहले तुम एक नारी हो
माँ के पहले तुम एक नारी हो


बलात्कार तो रोज ही होता है किसी न
किसी रूप में किसी न किसी नारी का ,
कुछ घटनाऐं उजागर हो जाती हैं और
कुछ शर्म के मारे दबा दी जाती हैं !
पर हवश के आगे की हैवानियत और
दरिन्दगी जब सामने आती है ,
तब उन मासूमों की लाचारी और तड़प
आँखों के सामने छा जाती है !
फिर असीम क्रोध की अग्नि ज्वाला
रग-रग में दौड़ लगाती है ,
उस घटना से किसी का सरोकार नहीं
पर कुछ की मानवता जाग जाती है !
तो क्यों नहीं जागती
इन दरिन्दों के
माताओं की आत्मा ,
क्यों देतीं हैं वह संरक्षण उन हैवानों को
देके जहर क्यों नहीं मार देती हैं !
माना कि वे इन दरिन्दों की महतारी हैं
पर सबसे पहले वे स्वयं एक नारी हैं ,
जागो फिर कि तुम काली, सृष्टिकारी हो ,
माता भगिनी पुत्री से ऊपर तुम्हारी नारी जाति है !
आज रच दो फिर एक इतिहास इस धरा
पर तुम्हारा नाम होगा ,
तब दुनिया गर्व से कहेगी वर्षो से जो
सोई थी यह वो नारी जाति है यह वो नारी जाति है !!