वो अलबेली चिड़िया
वो अलबेली चिड़िया
उड़ान भरने की कोशिशों में वो चिड़िया कई बार गिरी,
हज़ारों कोशिशों के बाद आखिर उसने उड़ान हासिल करली,।।
सब कहते उससे की ऊंचे सपने ना देखो,
गगन को चूमने के खयाल को त्याग दो,
वो चिड़िया जग से थी बेगानी,
उसने तो कुछ कर दिखाने की थी ठानी,।।
उड़ान भरने की कोशिशों में वो चिड़िया कई बार गिरी,
हज़ारों कोशिशों के बाद आखिर उसने उड़ान हासिल करली,।।
हर आंधी हर तूफान से वो लड़ा करती,
चील और बाज़ की नज़रों से खुद को बचाया करती,
दुखी जब वो होती तब आसमान को वो निहारती थी,
दिल पर हाथ रख कर बड़े अदब से खुद को समझाती थी,।।
उड़ान भरने की कोशिशों में वो चिड़िया कई बार गिरी,
हज़ारों कोशिशों के बाद आखिर उसने उड़ान हासिल करली,।।
सुबह सवेरे वो मेहनत में जुट जाती,
तिनका तिनका अपने घोसलें के लिए वो बटोरती,
मीठा मीठा गीत हर शाम वो गाती,
अलबेले से राग पर हर किसी को वो नचाती,।।
उड़ान भरने की कोशिशों में वो चिड़िया कई बार गिरी,
हज़ारों कोशिशों के बाद आखिर उसने उड़ान हासिल करली,।।
खुशियां बांटने में उसे एक सुकून मिलता था,
बारिश की बूंदों से भी उसे बातें करना आता था,
वो चिड़िया आज भी मस्त मौला अपनी धुन में खोई है,
अपने सपने को थामे वो एक मीठी सी नींद में सोई है,।।
