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सोनी गुप्ता

Inspirational

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सोनी गुप्ता

Inspirational

माँ का निश्छल प्यार

माँ का निश्छल प्यार

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वो बचपन की यादें हर पल हर क्षण जीने की राह मुझे दिखाती है,

माँ का वो निश्छल प्यार जो हर संकट से हमेशा मुझे बचाती है I 


प्यार से समेट लेती अपनी बाहों में खुशियों से झोली मेरी भर देती है,

अन्धकार में भी एक उजाला दिखता जब ऊँगली पकड़ मेरी चलती है,


जब आया तेरी गोद में नन्हा सा, प्यार सा फूल समझ तूने मुझे उठाया था,

आशाओं का एक सुन्दर सा पालना सजाकर तुमने उसमें मुझे सुलाया था,


जरा सी आहट पाकर मेरी अपनी नींद छोड़कर झटपट तुम उठ जाती थी,

फिर प्यार से अपने अंचल में छुपाकर मीठी –मीठी लोरी मुझे सुनाती थी,


चलते हुए नन्हें कदम मेरे लड़खड़ाते और मैं गिरकर रोता चिल्लाता था,

और तब माँ का ममतामयी निस्पृह स्पर्श का आगोश मुझे मिल जाता था,


सुबह –सवेरे नहलाकर मुझको अपने प्यारे कर से तेल उबटन लगाती थी,

काला टीका लगा माथे पर मेरी मुझे सबकी बुरी नजरों से वह बचाती थी,


मेरी भूख -प्यास भी सब मिट जाती जब वह प्यार से गात मेरे सहलाती थी,

हमेशा सुख ही सुख आता जीवन में क्योंकि सारे दुखों को वो हर लेती थी,


बचपन की मेरी हर लीलाओं में अपने दुखों को भूलकर वह मुस्कुराती थी,

जीवन की राहों में हर संकट से मुझे बचाकर पल -पल मुझे निहारती थी,


दया का सागर बनकर मेरी हर छोटी बड़ी सभी गलतियों को वह छुपाती थी,

आज आकाश में तारा बन वो टिमटिमाती हैं जो कभी मेरे साथ रहती थी,


प्यारे –प्यारे पल हर पल मुझे याद आते जो अन्धकार में भी प्रकाश दिखाते हैं,

जी करता समेट लूँ उन पलों को बाहों में जो सपने पूरे होने का भाव जगाते हैं I


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