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Anita Bhardwaj

Inspirational

4.7  

Anita Bhardwaj

Inspirational

स्त्री..

स्त्री..

2 mins
402


एक स्त्री हो..


चूल्हा चौका, 

भाई, पति,पिता,

से हटकर क्या लिख पाओगी

सास ननद के झगड़ों तक ही

सीमित रह जाओगी।


नारीवादियों का सहारा लेकर,

कुछ पल मुस्करा लोगी

घर में खाना देर से गर बना,

तो उस गृहयुद्ध को कैसे रोक पाओगी


पुरुष से बराबरी तो दूर,

मुकाबले की भी सोचोगी तो

किसी स्त्री के द्वारा है

अपमानित करवा दी जाओगी।


छोड़कर ये कागज़ कलम फिर

झूठे बर्तन संग एकांत में बताओगी,

पुरूष के कंधे बिना

तुम कहां जी पाओगी।


दिल तो करता है कह दूं,

पुरुष का मुझसे क्या मुकाबला,

मेरे बिना उसका क्या वजूद है

उसके हर कदम पर मेरा ही कोई रूप मौजूद है।


चूल्हा चौका ना जलाऊं गर मैं

उसके पेट की आग कैसे बुझेगी

बच्चे, सास,ननद को भूल जाऊं मैं

तो उसके घर की महफ़िल कैसे सजेगी,


ठूठ बनकर रह जाएगा वो

मेरे बिना उसे ये दुनिया बंजर लगेगी,

मुझ संग मुकाबले का प्रतिभागी भी बनने के लिए

अ पुरुष तुझे अभी सदियां लगेंगी।


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