छत्रपति शिवाजी
छत्रपति शिवाजी
जिजाउ-शाहाजी के स्वप्नपूर्ति की पहचान,
मराठा साम्रराज्य करना था भारतवर्ष में स्थापन।
जिजाउ-शाहाजी थे परियोजना के वास्तुकार,
छत्रपति शिवाजीने दिया परियोजना को आकार।
क्षेत्र के भूमिपत्रों का किया एकत्रीकरण,
नौसेना, घोडदल, विशाल लष्कर सेना का निर्माण।
प्रथम नौसेना संस्थापक का भारत में सम्मान,
एक-एक करके दुर्गों पर लहराया भगवा निषाण।
सक्ती, युक्ति, युध्द तो कभी समझोता,
गमिनी कावां, छापामार युध्दकला का करते पालन।
अपनी सेना का हमेशा रखते अपने से ज्यादा ध्यान,
कम से कम हो घोडों, हाथी, सेना का युध्द में नुकसान।
मौगल, आदिल, कुतुम, निजाम शाही पर आक्रमण,
कभी दोस्तना, कभी दुश्मनी तो कभी समझोता का पालन।
तीन सौ से ज्यादा किल्लों को किया अपने अधीन,
मराठा साम्राज्य का किया सुझ-बुझ से विस्तारिकरण।
किसान, पिड़ीत, महिलाओं का रखते विशेष धान्य,
सभी धर्मों का रखते आदर एकसमान।
शासन व्य्वस्था में किया आमुल परिवर्तन,
किसानों के उपज का ना हो नुकसान युध्द के दौरान।
अगर भूमिपुत्रों का युध्द से उपज का नुकसान,
सरकारी खजाने से नुकसान भरपाई का था प्रावधान।
युध्द में बच्चों, बुजुर्ग, महिओं को दिया जाता संरक्षण,
शिवदरबार में , नर्तकी नृत्यका नहीं हुआं कभी प्रदर्शन।
कैदी सेना और महिलायों का करते उचित सम्मान,
बेटी, बहन, बहू और माता करके रुढीगत सम्मान।
कैदी भूमिपुत्रों को दिखाते सही स्वराज्य का दर्पण,
नहीं समझने पर कर देते आझाद जाने को अपने वतन।
धार्मिक मृत परंपरा, अंधश्रद्धा का नहीं साम्राज्य कोई स्थान,
धार्मिक गुलामि से बहुजन मुक्ति का था अभियान।
वर्ण-व्यवस्था का धीरे-धीरे राज्य में हो रहा था पतन,
समाज सुधार गतिविधियों से नाराज हुयें मनुवादी ब्राह्मण।
शिवाजी राज्यभिषेक, जिजाउ की थी धार्मिक कलपना,
ताकि राजन को मिले धार्मिक मान्यताका जनवरदान।
शिवाजी को मिले समप्रभुता राजन का सम्मान,
अन्याई, षडयंत्राकारीयों को सुना सके दंड का फर्मान।
मनुवादियों ने चलाया धार्मिक षडयंत्र अभियान,
शिवाजी है शुद्र, नही बन सकते मराठा राज्य के राजन।
जिजाउ-शिवाजी को तोडना था धार्मिकगुलामि का शासन,
संकृत पंडित गागाभट्ट् को राज्यभिषेक लिए दिया आमंत्रण।
शिवाजी बने मराठा साम्राज्य के छत्रपति राजन,
ब्राह्मण नेतृत्व हार का था प्रथम ऐतिहासिक क्षण।
शिवाजी को करना था समतामूलक समज का निर्माण,
मराठा राज्य में अष्टप्रधान मंत्री मंडल का किया गठन।
समानता, न्याय, बंधुत्व, समान अवसर, जन संरक्षण,
मराठा साम्राज्य के संविधान की प्रस्तावना,
मराठा साम्राराज्य में सामाजिक लक्षों का निर्धारण।
शिवाजी, पराक्रमी योध्दा से बडे थे समाज सुधारक,
जिजाउ-शिवा का जनतंत्र का बुनियादी सिध्दांत।
छत्रपति शिवाजी की थी आठ रानियां,
दो पुत्र और छः पुत्रियां का परिवार एकसंघ।
छत्रपति शिवाजी थे सर्व गुनों से परिपूर्ण राजन,
समस्या निराकरण, संवाद, उत्कृष्ट राजनीति, स्वाभिमान,
चारित्र, सर्वज्ञानी, दूरदृष्टि, नियोजन व कृती, नीतिवान,
स्त्रिसम्मान, मानवता, गुनवत्ता संसाधन, जनकल्याण,
आधुनिकता सार्वजनिक प्रतिबंध उत्तम और करुणा,
रामराज्य से शिवराज्य भूमिपुत्रों के लिए एक वरदान।