जागा है मानव
जागा है मानव
सुप्त अवस्था में था जो पड़ा निज
भाषा विकास को जागा है मानव।
भाग्य भरोसे ही छोड़ के बैठा था
कर्म के पीछे वो भागा है मानव।
शब्द का ठीक करे उच्चारण
सोने पे तो वो सुहागा है मानव।
हिन्द में हिन्दी का ज्ञान नहीं
जिसको वह घोर अभागा है मानव।