जादू की झप्पी
जादू की झप्पी


जीवन एक रिश्ता हैं,
एक सोच फरिश्ता हैं,
तेरे नयन में दिखता दर्पण,
सब कुछ तुझे अर्पण भाग्य विधाता।
पिता की जादू की झप्पी में कुछ तो बात है,
यार को सीने से लगाने में गम चला जाता,
न होती ममता की कोई जात।
होठों में लब्ज नहीं,
लिखते वक्त टूटी कलम की नींव,
परन्तु मेरा विश्वास अटूट,
मैं और परम पिता एक।
हमारी दृष्टि से निर्मित हमारी सृष्टि,
अपनो के पास पूरी होती तेरे दर्शन की आस,
भरोसा है सब कुछ परोसता।
आशा की किरण दस्तक दे रही,
मौत के बाद नई जिन्दगी की धड़कन
पकड़ रही रफ़्तार सिर्फ तेरे विश्वास से।