बचपन की यारी
बचपन की यारी
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
1 min
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
551
बचपन की यारी खूब है प्यारी,
दिल चाहता दो पल जरा
बचपन को रोक पाती।
जिन्दगी की खुली किताब में,
खुद को पढ़ पाती।
न दिखते वो पल फिर से जो कुछ खास है,
बचपन की यादे सबके पास है।
बचपन की आदतों का गजब है वास्ता,
न होते हम किसी पर निर्भर,
उन आदतों का अनोखा है रास्ता।
यारो की यारी पर फ़िदा है
हमारी हुस्न जीत की,
दो पल की बाते,
देखो कितनी खास है।