STORYMIRROR

Teesha Mehta

Others

3  

Teesha Mehta

Others

बारिश

बारिश

1 min
272

कुछ कहती चली मैं हवा के झोंके संग,

मैं बारिश, तुझे एकाएक देखती चली ऐ राही,

भारती का जयशंख बजाकर लाती रंग।

खुद बेरंगीन हो कर लौटा दी मैंने धरती की चमक,

आंसू बहाते चली मैं, जब छीन लिया तुमने मेरे अधिकार,

अगर आज न समझ पायो, तो दिखेगा तुझे मेरा तमक।

लो-पथ-गामिनी का सफ़र तुम संग निराला।

एक एक मेंह बूंद तुम्हारे सम्पर्क में

रही मानो वैजंती माला का मोती,

रंगीन यादों में करती मैं मेरे पदचिन्ह,

छोड़ती चलती इस मोड़ से गुज़रने का चिन्ह।



Rate this content
Log in