कुछ अपने दर्द की भी कहानी लिखे
कुछ अपने दर्द की भी कहानी लिखे
कुछ अपने दर्द की भी कहानी लिखा करो ,
यू ना जिन्दगी को त्याग का श्रंगर बनाया करो।
तस्वीर न बदलती फ्रेम बदलने से ,
खुद को उम्मीदों पर खरा उतरते तो देखो।
दो पल की ये जिन्दगानी ,
हँसते हँसते जी कर तो देखो।
यू तो आँखें आशब्दिक तौर पर
सबकुछ बयां कर देती हैं ,
खुद को खुद की प्रेरणा बनाकर तो देखो।
दो घूँट ज़हर के अमृत लगे ,
अपना नज़रिया बदल कर के तो देखो।
एक बार ज़रा पीछे मुड़कर तो देखो।
जिन्दगी की रेस में खुद को फेस करो खुद से
खुद से ज़रा दो कदम आगे बढ़ा कर तो देखो ,
अगर जिन्दगी ने घसीट दिया बीस कदम दूर तुम्हें।
दूसरों को अपनी प्राणधारण की
मुस्कुराहट बनाने की जगह ,
खुद को अपने चेहरे की हँसी बनते तो देखो।
दो पल ज़रा रूक कर माँ को पानी का एक
गिलास पीला कर तो देखो ,
क्या फर्क पड़ेगा दो मिनट ज़रा देर
हो गई काम पे जाने मे तो।
जिन्दगी से शिकायतें मिटा कर तो देखो ,
बन जाएगी जिन्दगी खूबसूरत सी परेशानी।