इज़हार
इज़हार


देखो जरा इधर मेरी नज़रों में, इज़हार करता हूँ
सुनो, कसम तुम्हारी तुमसे प्यार बेशुमार करता हूँ
गर रुठ जाए तू, तो मनाने की कोशिशें सौ बार करता हूँ
कभी हँसता, कभी हँसाता कुछ लतीफ़े तैयार करता हूँ
तस्वीर देख तुम्हारी मुस्कुराता, यही बार-बार करता हूँ
अनजाने ही सही, बरबाद खुद को हर बार करता हूँ
तू जो कहे तो रात को दिन, जुम्मे को इतवार करता हूँ
इन झूठी बचकानी बातों पर भी तेरी, ऐतबार करता हूँ
तेरे जाते ही तेरे वापस लौट आने का इंतज़ार करता हूँ
फिर ख़्वाब में ही सही तेरे चेहरे पर बोसे हज़ार करता हूँ
तू नफ़रत भी करे गर तो भी तुझ पे जाँ निसार करता हूँ
ऐलान करता हूँ ऐ पागल लड़की तुमसे प्यार करता हूँ।।