Haripal Singh Rawat (पथिक)
Drama
कल स्याह रात,
दूधिया-असित।
खुले केशों में,
मिल गया....
फिर वही ख्वाब,
ड़रावना,
कुछ सच सा।
ना इत्तफ़ाकन...
इत्तफ़ाक से।
अगम्य राह
नूतन वत्सर
सहानुभूतिक जि...
भृंग उर
इश्क़-इस्बात
कौन पथिक?
'इश़्क सौ बार...
खुदकुशी
भाव और पथिक
तो कभी उन्हीं रास्तों में कांटे लगाकर , क्यों खुद से ही भटकाती है.. तो कभी उन्हीं रास्तों में कांटे लगाकर , क्यों खुद से ही भटकाती है..
आपकी बेटी सदा आपका ख्याल रखने के लिये, आपके पास नहीं रहेगी। आपकी बेटी सदा आपका ख्याल रखने के लिये, आपके पास नहीं रहेगी।
तेरे प्यार की लहरो में गुम हो गई अपने आपको मैं खो आई तेरे प्यार की लहरो में गुम हो गई अपने आपको मैं खो आई
રમતો હું એ મારુ આંગણું ખોવાયુંં ... રમતો હું એ મારુ આંગણું ખોવાયુંં ...
कुछ इस कदर खो गए जुड़ के तेरे नाम से कुछ इस कदर खो गए जुड़ के तेरे नाम से
धीरे धीरे सांझ की परछाई से बहते है, जो अँधेरों में छूटने होते है। धीरे धीरे सांझ की परछाई से बहते है, जो अँधेरों में छूटने होते है।
रूठना ना मुझसे कभी बिना आपके जिंदगी को नहीं जानती हूं। रूठना ना मुझसे कभी बिना आपके जिंदगी को नहीं जानती हूं।
खुल के आता नहीं जुबां पे कभी दिल के अंदर छुपा हुआ क्या है। खुल के आता नहीं जुबां पे कभी दिल के अंदर छुपा हुआ क्या है।
निकल आते हैं पर तो शजर को छोड़ देते हैं। निकल आते हैं पर तो शजर को छोड़ देते हैं।
कितना हसीन था मेरा बचपना। मुझे बुरा लगा तेरा बीत जाना। कितना हसीन था मेरा बचपना। मुझे बुरा लगा तेरा बीत जाना।
हे सेवक तू प्रभु के मेरी भी सलामी ले ले अनंत अग्नि; हे इन वीरों की कुरबानी ले ले। हे सेवक तू प्रभु के मेरी भी सलामी ले ले अनंत अग्नि; हे इन वीरों की कुरबानी ...
शब्दों के रूप में हुआ सम्मान पर प्रहार मिला हमको अपमानित होने का उपहार शब्दों के रूप में हुआ सम्मान पर प्रहार मिला हमको अपमानित होने का उपहार
तेरे साथ होती थी बात, पर लगता था जैसे अब नहीं रहे थे जज़्बात, तेरे साथ होती थी बात, पर लगता था जैसे अब नहीं रहे थे जज़्बात,
एक बार जो रास आ गया दिल को फिर और किसी से दिल कहाँ दोबारा लगता है एक बार जो रास आ गया दिल को फिर और किसी से दिल कहाँ दोबारा लगता है
तू तरुवर नीम के जैसा, तुझे कड़वे की आदत है।। तू तरुवर नीम के जैसा, तुझे कड़वे की आदत है।।
मिला हम को ऐसा उपहार शब्दों के रूप में हुआ सम्मान पर प्रहार मिला हम को ऐसा उपहार शब्दों के रूप में हुआ सम्मान पर प्रहार
अपनी सच्चाई के हज़ारों सबूत दिए, अपना हर ग़म छुपा दूसरों को खुशियाँ बांटी, अपनी सच्चाई के हज़ारों सबूत दिए, अपना हर ग़म छुपा दूसरों को खुशियाँ बांटी,
तुमको शायद याद नहीं, मेरे अंदर जज़्बातों की लड़ी तुमने जगाई थी तुमको शायद याद नहीं, मेरे अंदर जज़्बातों की लड़ी तुमने जगाई थी
तेरी औकात क्या है कहने वाले इतना मत इतरा तेरी औकात क्या है कहने वाले इतना मत इतरा
सिर्फ यादों को तराशने वाला यह दिल भी पानी की लहर की तरह है। सिर्फ यादों को तराशने वाला यह दिल भी पानी की लहर की तरह है।