इत्तेफाक
इत्तेफाक
इत्तेफाक की बात है, मिलते कितने लोग,
पाप कर्म का कितनों में, भरा हुआ है रोग।
जाना है जब दुनियां से, सोच अरे! इंसान,
सत्य कर्मों से बनती है, जग में ही पहचान।।
कुछ करके जाते हैं, लेते उनका जन नाम,
कुछ ऐसे जाते हैं, कर जाते जन बदनाम।
एक दिन आती है, अंतिम जन की शाम,
वक्त बीत जाएगा, फिर रगड़ो कितनी बाम।।
आये हो जगत में, कर लो सुंदर कुछ काम,
भूल जाओ बुराई को, भज ले प्रभु का नाम।
चाहे कितने पाप कर्म कर, जाना भव से पार,
वक्त अभी है बावले, ले ले भज ले बस राम।।
