इश्क़ की ख़्वाहिशें
इश्क़ की ख़्वाहिशें
तुम्हारे हृदय पर
मज़बूरियों ने जो
घाव कर दिए है
उन पर अब मैं
मरहम लगा देना
चाहता हूँ
किसी भी क़ीमत
पर लौटना चाहता हूँ
तुम्हे तुम्हारे सपने
जिन पर अब कभी
प्राकृतिक और अप्राकृतिक
हादसों का भी साया
ना पड़ सके
अब तुम्हारे इरादों को
इतना फौलादी कर देना
चाहता हूँ
कि वो इरादे चट्टानों
का भी सीना फाड़
बंद हुए सभी रास्ते
खोल सकने में सक्षम
हो सके