इश्क़
इश्क़
वो हँसी भी थी
वो रोई भी थी
जिस इश्क़ से
वो बेखबर थी
उसी इश्क़ में
वो खोई भी थी
उसके लबों पर
इश्क़ का न ही कभी
जिक्र हुआ था
उसकी ज़िन्दगी में
इश्क़ का न ही कभी
कोई वास्ता था
फिर भी उसका
इश्क़ से एक
राबता जो हुआ था
पूछा भी था मैंने
तो उसने कुछ भी
बताया भी न था
कहीं इस इश्क़ ने
तो नहीं उसको
बेबस किया था
