सज़ा के जैसे है माँ से रहना बिछड़कर न जाने वो कौनसी मुझसे हो गई है ख़ता सज़ा के जैसे है माँ से रहना बिछड़कर न जाने वो कौनसी मुझसे हो गई है ख़ता
न जाने क्यों कुछ अपना-सा लगता है मुझको उस घर से मेरा कोई राब्ता है जैसा लगता है मुझको न जाने क्यों कुछ अपना-सा लगता है मुझको उस घर से मेरा कोई राब्ता है जैसा लगता...
फिर भी उसका इश्क़ से एक राबता जो हुआ था फिर भी उसका इश्क़ से एक राबता जो हुआ था