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Moumita Dutta

Abstract Romance Fantasy

3  

Moumita Dutta

Abstract Romance Fantasy

घर

घर

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अपने घर से दूर, एक घर दिखता है मुझको 

कुछ जाना -पहचाना सा, लगता है वह मुझको.. 

सफ़ेद चादर ओढ़े कुछ नीला, हरा सा 

दिखता है वह मुझको .. 

न जाने क्यों कुछ अपना-सा लगता है मुझको 

उस घर से मेरा कोई राबता है जैसा लगता है मुझको 

दूर पहाड़ी पर वह ठहरा-सा दिखता है 

क्या कोई अपना उसमें बसता है 

न जाने क्यों लगता है मुझको 

बाँहें फैलाये जैसे वह बुलाता है मुझको.. 

नज़र गड़ाए बैठा रहता हूँ मैं 

किसी अनजाने से चेहरे की तलाश में हूँ मैं 

शायद कोई दिख जाये मेरे जैसा 

शायद मैं मिलूँ किसी से, जो हो मेरे जैसा


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