STORYMIRROR

Moumita Dutta

Abstract

3  

Moumita Dutta

Abstract

लम्हे

लम्हे

1 min
215

लम्हे बदलते हैं  

समय तो सबका आता है

कभी तुम्हारी तो कभी हमारी होती है

रह जाती हैं तो बस यादें

उन लम्हो की उन बीते पलों का

जब दोस्त से थे हम , और खुदाई का मेहरबा था

लम्हे तो अब भी है , समय भी सबका

फर्क इतना है सिर्फ , के अब एक दुसरे को

अपनी अपनी यादों में , ढूंढ़ने के फ़िराक में 

गुजारते हैं हम , यह लम्हे

उन लम्हो के लिए , जो बीते न भुलाया

यादों का क्या है , वह रहे जाते हैं

वादों का क्या 

वह तो बस निभाए जाते हैं!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract