लम्हे
लम्हे
लम्हे बदलते हैं
समय तो सबका आता है
कभी तुम्हारी तो कभी हमारी होती है
रह जाती हैं तो बस यादें
उन लम्हो की उन बीते पलों का
जब दोस्त से थे हम , और खुदाई का मेहरबा था
लम्हे तो अब भी है , समय भी सबका
फर्क इतना है सिर्फ , के अब एक दुसरे को
अपनी अपनी यादों में , ढूंढ़ने के फ़िराक में
गुजारते हैं हम , यह लम्हे
उन लम्हो के लिए , जो बीते न भुलाया
यादों का क्या है , वह रहे जाते हैं
वादों का क्या
वह तो बस निभाए जाते हैं!