"ये रेशमी लहज़ा" परियों की कहानी है तितलियों की ज़ुबानी है। "ये रेशमी लहज़ा" परियों की कहानी है तितलियों की ज़ुबानी है।
अपनी मजबूरी को ताकत अपनी बनाती हूं अपनी मजबूरी को ताकत अपनी बनाती हूं
लिपटी रहूंगी साये से तुम्हारे या, तुझमें कहीं खो जाऊंगी । लिपटी रहूंगी साये से तुम्हारे या, तुझमें कहीं खो जाऊंगी ।
यदि तुम जाग जाओ तो ये भी ना रहेगी खोई खोई। यदि तुम जाग जाओ तो ये भी ना रहेगी खोई खोई।
फिर भी उसका इश्क़ से एक राबता जो हुआ था फिर भी उसका इश्क़ से एक राबता जो हुआ था
पुरुषोत्तम श्री राम भी आये गिरधारी घनश्याम भी आये पुरुषोत्तम श्री राम भी आये गिरधारी घनश्याम भी आये