सौन्दर्य
सौन्दर्य
क्यों नहीं महसूस करता कोई
प्रकृति है कितनी सुंदर सजोई ,
क्यों नहीं है किसी के पास वक्त
ये खूबसूरत चीज है हमसे खोई खोई ।
बातें तो करके देखो इससे
कैसे आएगी समीप तुम्हारे ,
फूलों से ज्यादा सुंदर नहीं
सागर से गहरा नहीं है कोई।
क्यों दूर भागते हो इससे तुम
प्रकृति से इस तरह आज,
यदि तुम जाग जाओ तो
ये भी ना रहेगी खोई खोई।
सारी जरूरतें पूरी करती हमारी
फिर क्यों ना पूछते हम इसे ,
क्यों नहीं कोई इससे जुड़ा
क्यों रहती है ये खोई खोई।
जीवन जीते हैं हम इसमें
पीने को देती हमको पानी,
भूल न जाओ इसकी कुर्बानी
फसलें भी थी हमने इसमें बोई।