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Asmita prashant Pushpanjali

Others

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Asmita prashant Pushpanjali

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कभी मै सोचती हूँ

कभी मै सोचती हूँ

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मै कभी ये सोचती हूँ

तेरी बांहों की मलमली दुलई में

मेरी शाम कैसे गुजरेगी।

लिपटी रहूंगी साये से तुम्हारे

या, तुझमें कहीं खो जाऊंगी ।

घुल ही ना जाऊं मै

सांसो मे तुम्हारे।

या सिमट ही ना जाऊं मै

बाँहों मे तुम्हारे।

कभी मै सोचती हूँ

कभी मै सोचती हूँ


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