आहिस्ता
आहिस्ता
आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना,
"ये रेशमी लहज़ा"
परियों की कहानी है
तितलियों की ज़ुबानी है
यू हीं कभी आहिस्ता से
चलकर घने जंगलों में,
खोई सी कोई गुमसुम,
परी तलाशती सी कोई,
अपनी हसीन यादों को,
अपने ख़्यालों में खोई सी,
आहिस्ता ग़ज़ल पढना,
"ये रेशमी लहज़ा"
परियों की कहानी है,
तितलियों की ज़ुबानी है।
