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KAMESH YADAV

Classics Fantasy Inspirational

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KAMESH YADAV

Classics Fantasy Inspirational

बस एक नजरिया तलाशता हूँ...

बस एक नजरिया तलाशता हूँ...

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हाँ यकीनन ही तुम बदल चुके हो 

कब कहाँ कैसे पता नहीं

पर आज जब भी मैंने 

तुम्हें महसूस किया है न तो 

शायद इस अधुरेपन के कारण

इस बात से बेख़बर की


दिल में एक हलचल सी भी है 

शोर सराबा होने के बाद

चेहरे पर वो मुस्कान नही है 

तुम्हारा मुरझाया हुआ चेहरा 

जब मुझ से रूबरूह होता है 


तो मैं तुम्हें खामोश देखा हूँ 

सोचता हूँ क्या इतना बदलाव

वक्त के साथ तो नहीं हुआ होगा 

या फिर कोई ऐसी वजह थी 

जो तुम्हें इस ओर ले आई


वो शख्स जो कभी करीब था

उसने कोई ख़ता तो नहीं की

तोड़े तो नहीं होंगे जो वादे

कभी तुमसे किये थे 

तुम्हारे इरादों को भी 


तुम से छीना कर 

तन्हा तो नहीं किया था 

फिर आज मैं भी क्यूँ 

तुम्हारी इस ख़ामोशी की 

वजह से खुद को संभाले रखने का

बस एक नजरिया तलाशता हूँ।


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